कर्मचारियों की हुई बल्ले-बल्ले! पुरानी पेंशन स्कीम फिर से लागू, वर्षों का संघर्ष हुआ सफल-Old Pension Scheme

Old Pension Scheme: लाखों सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए यह खबर किसी दिवाली के बोनस से कम नहीं है! वर्षों का इंतजार, अनगिनत प्रदर्शन और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार न्याय का सूरज उदय हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए उन हजारों शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया है, जो दशकों से अपने हक़ के लिए लड़ रहे थे।

यह फैसला सिर्फ पेंशन का नहीं, बल्कि उन कर्मचारियों के सम्मान, स्वाभिमान और सुरक्षित भविष्य की गारंटी है, जिनकी सेवाओं को अब तक नजरअंदाज किया जा रहा था।

क्या था पूरा मामला, क्यों थी यह लड़ाई इतनी ज़रूरी?

उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त स्कूलों में हजारों शिक्षक “तदर्थ” (अस्थायी) रूप से काम कर रहे थे। 30 सितंबर 2000 से पहले नियुक्त होने के बावजूद, उनकी नौकरी को कभी स्थायी नहीं माना गया। वे नियमित शिक्षकों की तरह ही बच्चों को पढ़ाते थे, स्कूल के हर काम में योगदान देते थे, लेकिन जब अधिकारों की बात आती थी, तो उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता था।

उन्हें न तो पुरानी पेंशन योजना (OPS) का लाभ मिलता था, न ही प्रमोशन और न ही कोई और वित्तीय फायदा। यह एक ऐसा अन्याय था जिसके खिलाफ शिक्षकों ने एकजुट होकर आवाज उठाई।

हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक न्याय की लड़ाई

जब सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना कर दिया, तो इन शिक्षकों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने 2016 में शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि उनकी सेवा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ मिलना ही चाहिए।

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लेकिन सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई। मामला सालों तक लटका रहा, पर शिक्षकों ने हिम्मत नहीं हारी।

और अंत में हुई न्याय की जीत!

आखिरकार, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की सभी दलीलों को खारिज करते हुए हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। देश की सर्वोच्च अदालत ने साफ शब्दों में कहा:

  • “अगर किसी से सेवा ली गई है, तो उसे उसका हक देना ही होगा।”
  • “तदर्थ सेवा को पेंशन लाभों के लिए गिना जाना चाहिए।”

यह फैसला एक मिसाल बन गया है, जो यह साबित करता है कि हक की लड़ाई में देर हो सकती है, पर अंधेर नहीं।

इस फैसले के आपके लिए क्या मायने हैं?

  1. बुढ़ापे का सहारा पक्का: अब इन शिक्षकों को रिटायरमेंट के बाद नई पेंशन स्कीम (NPS) के बाजार जोखिमों की चिंता नहीं करनी होगी। उन्हें OPS के तहत आखिरी सैलरी की लगभग आधी राशि निश्चित पेंशन के रूप में मिलेगी।
  2. खोया सम्मान वापस मिला: यह फैसला सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि सम्मान भी लौटाएगा। अब उन्हें भी स्थायी कर्मचारियों के बराबर दर्जा मिलेगा।
  3. देशभर के कर्मचारियों के लिए उम्मीद: यह जीत सिर्फ यूपी के शिक्षकों की नहीं, बल्कि देशभर के उन सभी अस्थायी और संविदा कर्मचारियों के लिए एक नई उम्मीद है, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।

अब आगे क्या करें?

जिन शिक्षकों पर यह फैसला लागू होता है, उन्हें तुरंत अपने सेवा संबंधी दस्तावेज जैसे नियुक्ति पत्र, अनुभव प्रमाण पत्र आदि तैयार रखने चाहिए और फैसले की कॉपी के साथ अपने विभाग में पुरानी पेंशन के लिए आवेदन करना चाहिए।

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यह फैसला इस बात का सबूत है कि एकता और दृढ़ संकल्प से किसी भी लड़ाई को जीता जा सकता है। यह उन सभी कर्मचारियों की जीत है जो एक सुरक्षित और सम्मानजनक सेवानिवृत्ति का सपना देखते हैं।

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