उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के छात्रों और अभिभावकों के लिए एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है। पवित्र श्रावण मास में होने वाली कांवड़ यात्रा को देखते हुए प्रशासन ने एक बड़ा फैसला लिया है। यात्रा के दौरान होने वाली भारी भीड़ और ट्रैफिक जाम से बच्चों को बचाने के लिए जिले में 10 दिनों की लंबी छुट्टी की घोषणा कर दी गई है।
हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित द्वारा जारी आदेश के अनुसार, जिले के सभी शैक्षणिक संस्थान 14 जुलाई से 23 जुलाई तक पूरी तरह से बंद रहेंगे। यह फैसला छात्रों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए लिया गया है।
किन-किन संस्थानों पर लागू होगा यह आदेश?
यह 10 दिवसीय अवकाश हरिद्वार जिले के हर छोटे-बड़े शिक्षण संस्थान पर लागू होगा। यानी इस दौरान:
- 12वीं कक्षा तक के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल
- सभी डिग्री कॉलेज और यूनिवर्सिटी
- सभी टेक्निकल और प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट
- सभी आंगनबाड़ी केंद्र
पूरी तरह से बंद रहेंगे और इनमें किसी भी तरह की पढ़ाई या शैक्षणिक गतिविधि नहीं होगी।
आखिर क्यों लिया गया छुट्टी का यह फैसला?
हर साल सावन के महीने में लाखों शिवभक्त कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लेने पहुंचते हैं। इस विशाल धार्मिक आयोजन के कारण:
- सड़कों पर भारी भीड़: पैदल और वाहनों से चलने वाले कांवड़ियों की वजह से सड़कों पर तिल रखने की भी जगह नहीं होती।
- भयंकर ट्रैफिक जाम: मुख्य मार्गों पर यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाती है।
- सुरक्षा की चुनौती: लाखों लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती होती है।
इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए, छात्रों को किसी भी तरह की असुविधा और जोखिम से बचाने के लिए प्रशासन हर साल यह कदम उठाता है।
अभिभावकों और छात्रों के लिए जरूरी अपील
जिलाधिकारी ने सभी स्कूल-कॉलेजों और अभिभावकों से इस आदेश का सख्ती से पालन करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि अभिभावक इन 10 दिनों में अपने बच्चों को किसी भी तरह के स्कूल, कॉलेज या कोचिंग सेंटर में न भेजें। यह अवकाश केवल छात्रों की सुरक्षा और यात्रा व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए है।
क्या दूसरे जिलों में भी बंद होंगे स्कूल?
फिलहाल यह आदेश सिर्फ हरिद्वार जिले के लिए जारी किया गया है। हालांकि, कांवड़ यात्रा का प्रभाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अन्य सीमावर्ती जिलों पर भी पड़ता है। यदि किसी अन्य जिले में भी स्थिति गंभीर होती है, तो वहां का स्थानीय प्रशासन स्थिति का आकलन कर स्कूल बंद करने का निर्णय ले सकता है।